जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।
मामा कंस के अत्याचारों से परेशान होकर, उनके विनाश के लिए, भगवान कृष्ण ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्म लिया था. कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में आधी रात को हुआ था. मथुरा भगवान की जन्म-भूमि है, इसलिए इस त्यौहार को मथुरा में बहुत ही ज़्यादा धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. दूर-दूर से लोग मथुरा और वृन्दावन में जन्माष्टमी का पर्व देखने के लिए आते हैं. पूरे मथुरा के मंदिरों को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है, जिसकी वजह से हर तरफ रौशनी हो रौशनी दिखाई देती है. इतना ही नहीं, यहां के मंदिरों में कृष्ण भगवान को आप गोपियों संग रासलीला का आनंद लेते हुए भी देख सकते है. शास्त्रों के मुताबिक 5 हज़ार 243 साल पहले भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा की भूमि पर हुआ था.
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